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पायरेटड नेता, पायरेटड सीडी

मन के दरवाजे खोल जो बोलना है बोल
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neta cartoonलो, गई भैंस पानी में। पूरी मेहनत पर पानी फिर गया। घोटाले, धौंसबाजी, घपले, आपराधिक कृत्य करके जितनी भी इज्जत बनाई थी, सब धूमिल हो गई। पार्टी में जो नेता पहले सीना तानकर धौंस जमाते हुए चला करते थे, आज गर्दन झुकाए सभाकक्ष में जा रहे हैं। दरअसल ये सब पायरेटड नेता मतलब पायरेटड सीडी देखते पकड़ाए नेता। और इनको इनके टुच्चे कारनामे के कारण पार्टी ने इन्हें बैठक के लिए दिल्ली बुलाया है।

चुनावों में क्रासवोटिंग के डर से इनकी नेत्री ने ७५ विधायकों को एक होटल में छुपाया था और वहां उनके मनोरंजन के लिए ‘राजनीति’ फिल्म उनको दिखा दी वो भी पायरेटड सीडी से। बस यहीं से सारी आफत शुरू हुई। इन नेताओं को क्रासवोटिंग के डर से होटल में छुपाया गया था पर पायरेटड सीडी कांड के बाद तो ये क्रासवोटिंग तो क्या वोटिंग करने से भी कतरा रहे हैं। दरअसल जब से इन्होंने ये टुच्चा कारनामा किया है पूरी नेता बिरादरी में इनकी जंग हंसाई हो रही है। ये कहीं बाहर आने-जाने लायक नहीं रहे। सबसे मुंह छिपाए फिर रहे हैं। अरे भई, पकड़ाना ही था तो घोटाले में पकड़ाते, हत्या, अपहरण में पकड़ाते मगर यह क्या पायरेटड सीडी देखते पकड़ा गए। पूरे राजनीतिक जगत में थू-थू हो रही है। पूरा मार्केट वैल्यू नीचे गिर गया। कल तक जो पार्टी के छोटे-मोटे कार्यकर्ता गर्दन झुकाकर इनके पैरों में पड़े रहते थे, आज इन्हें ‘पायरेटड’, ‘पायरेटड’ कहकर चिढ़ा रहे हैं। इनके ऊपर १०-२० एसएमएस चुटकुले तो इन कार्यकर्ताओं ने खड़े-खड़े बना दिए। पार्टी का रिवाज है कि जो नेता जिस कांड में पकड़ाएगा उसका ‘निक नेम’ उसी आधार पर रख दिया जाएगा। जैसे कोई नेता डामर घोटाला में पकड़ाया तोउसका निकनेम हुआ ‘डामर, पानी घोटाले वाले नेता का ‘पानी’ आदि। अब ये नेता पायरेटड सीडी देखते पकड़ाए हैँ इसलिए इनका निकनेम पड़ गया ‘पायरेटड’।

इसलिए इन ‘पायरेटड’ नेताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दिल्ली बुलाया है इस घटना पर सफाई देने के लिए। इन नेताओं की नेत्री भी इन लोगों के साथ आई है। (बैठक शुरू होती है)

राष्ट्रीय अध्यक्ष नेत्री से- “ये क्या किया आप लोगों ने, पार्टी की भद्द पिटवा दी। रुके थे पांच सितारा होटल में और वहां ऐसा गैर सितारा काम कर दिया। तुम्हारे इस टुच्चे कारनामे ने पूरी पार्टी की चमक फीकी कर दी। अरे किसी बड़े मामले में फंसते तो किसी को भिड़ाया जाता, इसी बहाने पार्टी को कुछ काम तो मिलता, वैसे ही खाली बैठे रहते हैं लेकिन इस टुच्चे कांड के लिए जुगाड़ लगाने में भी शर्म आ रही है। अरे हम राष्ट्रीय पार्टी हैं, कोई छोटे-मोटे टुच्ची पार्टी नहीं पर तुम लोगों ने पायरेटेड सीडी देखकर पार्टी की इज्जत मिट्टी में मिला दी। अरे जब पांच सितारा होटल में विधायकों को छुपा सकती हो तो इन्हीं किसी मल्टीप्लेक्स ले जाकर फिल्म नहीं दिखा सकती।”

नेत्री- “मैं क्या करती। वैसे ही सत्ता से बाहर हैं, पार्टी में फंड की भी कमी है इसलिए पायरेटड सीडी से काम चला लिया।”

राष्ट्रीय अध्यक्ष- “अच्छा, पांच सितारा होटल में रुकने का पैसा है लेकिन मल्टीप्लेक्स जाने का नहीं। “

नेत्री- “अध्यक्ष महोदय, पार्टी फंड अभी खस्ताहाल है, जब हम सत्ता में थे तभी उस होटल में पहले से ही एडवांस राशि जमा करा दी थी भविष्य के लिए। हमें पता था हम सत्ता के भले ही बाहर हो जाएं लेकिन होटलवाले हमको बाहर नहीं कर पाएंगे। इसलिए होटल में पैसा नहीं देना पड़ा।”

राष्ट्रीय अध्यक्ष- “एक तो सत्ता से बाहर हैं, कोई मुद्दा भी नहीं मिल रहा था जिसे उछालें। अभी-अभी एंडरसन मामले पर कांग्रेस को घेर ही था। पार्टी की मार्केट वैल्यू बढ़ ही रही थी कि तुम लोगों के टुच्चे कारनामे ने पूरा वैल्यू डाऊन कर दिया। कल की ही बात ले लो। अगले हफ्ते रैली निकालकर केन्द्र सरकार का पुतला जलाने का का र्यक्रम है तो सोचा कि थोक के भाव पुतले ले लेते हैं। लेकिन पुतले वाले ने पुतले देने से इंकार कर दिया, कहने लगा हम छोटी-मोटी पार्टियों को पुतला नहीं देते। मैंने कहा कि हम राष्ट्रीय पार्टी हैं तो वो कहने लगा कि जिस तरह के प्रकरण में तुम्हारे पार्टी के नेता पकड़ाए हैं, वैसे प्रकरण में छोटी-मोटी पाटी के नेता पकड़ाते हैं। राष्ट्रीय पार्टी के नेता पायरेटड सीडी में फिल्म नहीं देखते बल्कि खुद का मल्टीप्लेक्स बनवा लेते हैं या फिर पूरी फिल्म ही बनवा लेते हैं। “

(अध्यक्ष पायरेटड नेताओं की तरफ मुखातिब होते हुए) “देखा तुम लोगों ने तुम लोगों के कारण पुतले वाले तक हमको भाव नहीं दे रहे ।”

(एक पायरेटड नेता बीच में बोल पड़ा) “हम क्या करें, होटलवालों ने ही हमको पायरेटड सीडी दे दी।”

राष्ट्रीय अध्यक्ष (गुस्से में)– तुम तो चुप ही रहो। ये आइडिया तुम्हारा ही होगा क्योंकि तुम ही कंजूस हो और डुप्लीकेट चीजें रखते हो। चाइना मोबाइल, सेकंड हैंड गाड़ी, सालों पुरानी घड़ी। तुम तो नेता के नाम पर कलंक हो। नेता को अपव्ययी होना चाहिए मितव्वययी नहीं। तुम तो कार्यकर्ता बनने लायक भी नहीं हो।

(इतने में एक वरिष्ठ नेता बोलता है) “मुझे तो लगता है कि इसमें विरोधी पार्टियों की चाल है। उन्हीं लोगों ने पायरेटड सीडी भिजवाई होगी और फिर इन लोगों को पकड़वा दिया ताकि इस टुच्चे प्रकरण में फंसकर हमारी पार्टी की “रेपोटेशन” खराब हो। या फिर हो सकता है कोई घर का भेदी हो, मतलब भीतरघात की आशंका। अध्यक्ष महोदय, मैं इस भीतरघात के जांच की मांग करता हूं और यदि ये काम विरोधी दल का है तो कार्यकर्ताओं से आह्वान करता हूं कि विरोधी दलों के घरों में थोक के भाव पायरेटड सीडी भिजवा दें।” (इतना सुनते ही कार्यकर्ता बाजार की तरफ दौड़ पड़ते हैं पायरेटड सीडी लेने और इसके बाद  बैठक को खत्म कर दिया जाता है।)

(कुछ देर बाद पायरेटड सीडी प्रकरण से व्यथित “राजनीति” फिल्म के निर्देशक प्रकाश झा सभा कक्ष में आते हैं। सभाकक्ष में उस समय बैठक खत्म होने के बाद सारे नेता नाश्ते का मजा ले रहे हैं।)

प्रकाश झा- “मैं आप लोगों के द्वारा पायरेटड सीडी में फिल्म देखने से दुखी हूं। जब कानून बनाने वाले ही कानून तोड़ेंगे तो देश का क्या होगा?”

सभी नेता एक स्वर में- “आप गलत कह रहे हैं। सबसे पहले बात तो कानून हमने बनाया ही नहीं, वो पहले से बना हुआ है। और दूसरी बात कानून चाहे बने या टूटे देश जैसा है वैसा ही रहने वाला है। यहां हजार लोगों को मौत के हवाले करके एंडरसन जैसे लोग साफ बच जाते हैं फिर हमने तो बस पायरेटड सीडी में फिल्म देखी है और आप इस पर इतना हल्ला मचा रहे हैं।”

(प्रकाश झा निराश होकर वापस लौट जाते हैं लेकिन तभी एक हल्की सी मुस्कान उनके चेहरे पर आती है क्योंकि उनको अपनी अगली फिल्म का विषय जो मिल गया है- “भोपाल गैस हादसा।” फिल्म के किरदारों का खासा मन में तैयार करते हुए वे पार्टी कार्यालय से बाहर निकल जाते हैं)

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