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फोटो लोड हो गया रब्बा रब्बा (के.एम.मिश्राजी के फोटो पर व्यंग्य)

मन के दरवाजे खोल जो बोलना है बोल
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kmmishra cartoonजागरण जंक्शन के सभी ब्लागर्स, वो घड़ी आ ही गई है जिसका सब बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। जागरण जंक्शन मंच पर ब्लागस्टर कौन बनेगा के बाद सबसे चर्चित सवाल यही था कि के.एम.मिश्राजी आखिर अपनी फोटो कब लोड करेंगे। और देखिए कल उन्होंने अपना मुखड़ा फोटो फ्रेम के टुकड़े में डाल ही दिया। जैसे देश की जनता को यही फिक्र रहती है कि सलमान खान शादी कब करेंगे वैसे ही जागरण जंक्शन के ब्लागर्स के बीच यह बहस छिड़ी रहती थी कि आखिर मिश्राजी अपनी फोटो कब डालेंगे। मिश्राजी के फोटो नहीं लगाने ने बहुतों को परेशान कर रखा था। भुक्तभोगी मैं भी हूं। अब हम तो हैं ही चश्मीश, क्या करें आंखें कमजोर जो हैं। बस मिश्राजी की तरह ही के एक बिना फोटो वाले ब्लाग पर जाकर हमने हास्य व्यंग्य पर टिप्पणी दे दी। जिन महाशय के ब्लाग पर हमने टिप्पणी की वो अचंभे में पड़ गए कि हमने तो गंभीर लेख लिखा था, ये हास्य टिप्पणी कौन कर गया। इसका बदला उन्होंने हमारे हास्य व्यंग्य पर गंभीर टिप्पणी करके लिया। क्या मिश्राजी आपने तो फंसवा ही दिया था।


मिश्राजी के फोटो न लगाने की बात ने मुझे सोच में डाल दिया था। मैं अपने पथप्रदर्शक मिश्राजी की छवि अपने कल्पनाओं में गढता,  मैं एक कवि की तरह उनके मुखड़े की कल्पना करते हुए उन पर कविता लिखना चाहता था लेकिन कविता लिखने के लिए विचारों के सागर में गहराई तक जाना पड़ता है और हमें तैरना आता नहीं इसलिए हमने विचारों के सागर से बाहर आना ही उचित समझा। फिर भी हम विचारों के उथले पानी में तैरने लगे और सोचने लगे कि आखिर क्यूं मिश्राजी अपना फोटो नहीं लगा रहे हैं। हमे लगा कि जरूर किशोरावस्था में चेहरे पर हुए मुंहासे उनके चेहरे पर दाग छोड़ गए होंगे इसलिए मिश्राजी चेहरा नहीं दिखाना चाहते। फिर सोचा ये नहीं हो सकता आजकल इतनी क्रीम आती हैं कि ये क्रीम लगाकर तो आप अब तक शाहिद कपूर बन गए होते। फिर दूसरा खयाल आया कि जरूर आप मनोज कुमार के घोर प्रशंसक होंगे और आपकी मुंह पर हाथ रखकर बात करने की आदत होगी और इसीलिए फोटो नहीं लगा रहे होंगे। ये भी नहीं हो सकता क्योंकि मनोज कुमार तो मार्केट से बाहर हो गए हैं और आउटडेटेड लोगों की कॉपी आप  थोड़े ही करेंगे।


अब हमें पक्का शक होने लगा था कि जरूर आप पत्नी पीड़ित पति संघ के सद्स्य होंगे और अपनी श्रीमतीजी के डर से फोटो नहीं लगा रहे हैं कि यदि उनको पता लग गया कि आप घर के काम जैसे कपड़े धोना, खाना पकाना छोड़कर ब्लागिंग करते हैं तो आपकी खैर नहीं। वैसे भी आपने इतने व्यंग्य लिखे लेकिन अपनी श्रीमतीजी पर अब तक कोई  व्यंग्य नहीं लिखा। इसलिए अब हमारा शक यकीन में तब्दील होने लगा था। हम आपकी व्यथा समझते थे मिश्राजी। न..न..न.. हम शादीशुदा नहीं है लेकिन बहुत से पत्नी पीड़ित पतियों का हाल हमने देखा है। आप कितनी मेहनत से बीमारी का बहाना करके बिस्तर पर लेट जाते होंगे और फिर धीरे से कंबल के अंदर लैपटाप चालूकर ब्लागिंग करते होंगे। मुझे आपसे सहानुभूति होने लगी थी। लेकिन तभी टीवी पर एक खबर देखी कि अंतरिक्ष से आए एलियनों के यान से एक एलियन हास्य व्यंग्य लेखक यहीं धरती पर छूट गया है। उसकी तलाश की जा रही है। इस खबर ने हमारे दिमाग में खलबली मचा दी। हमें लगा कि कहीं के.एम.मिश्राजी ही तो वो एलियन नहीं। हम खुशी के मारे फूले नहीं समा रहे थे। हमें लगा जैसे हम कोई मिल गया के ऋतिक बन गए हैं और हमें आपके रूप में जादू मिल गया है जो हमें हास्य व्यंग्य में निपुण करेगा और हमारी प्रिटी जिंटा जैसी गर्लफ्रैंड को पटाने में मदद भी करेगा। हम खुश थे, बहुत खुश। अब हम दोस्तों के सामने सीना तानकर बताया करते थे कि देखो हमारा भी एक एलियन दोस्त है, अब कोई हमारे सामने ज्यादा नहीं उछलेगा। हम समझ चुके थे कि आप अपना फोटो क्यों नहीं लगा रहे हैं क्योंकि आप एक एलियन हास्य व्यंग्य लेखक हैं। लेकिन यह क्या आपने कल अपने ब्लाग में इंसान का चेहरा लगाकर हमारे अरमानों के गुब्बारे की हवा निकाल दी। हम आपको एलियन समझ रहे थे और आप इंसान निकले। अब हम क्या कहकर अपने दोस्तों के सामने उछलेंगे। हमने आपका नाम लेकर अपनी प्रिटी जिंटा को पटाया था, अब डर लग रहा है कहीं वो हमको छोड़कर चली न जाए।


कोई बात नहीं मिश्राजी अब हम आपके इंसान वाली फोटो से ही काम चला लेंगे। वैसे हम आपके शानदार फोटो की तारीफ में दो शब्द (लंबा-चौड़ा भाषण) कहना चाहेंगे। आपके फोटो को देखकर ये साफ लगता है कि आप देव आनंद का अनुसरण करते होंगे। आपके गले में टंगा स्कार्फ और आपकी हेयरस्टाइल यही संकेत कर रही है। लेकिन आपकी मूछें अनिल कपूर प्रशंसक होने की ओर इशारा कर रही है। और आपकी मुस्कान तो आज के दौर के रणबीर कपूर से प्रेरित लग रही है। आपकी फोटो में इन तीनों विभिन्न कालों के अभिनेताओं की अदाओं का स्पष्ट संगम झलक रहा है। आप जो छुपाना चाहते थे वो हम जान ही गए। आपने इतने महीनों से अपनी फोटो इसलिए नहीं लगाई थी क्योंकि आप इन तीनों अभिनेताओं की अदाओं को मिलाकर एक कातिलाना पोज मे फोटो खिंचवाना चाहते थे और यही पोज देने में आपको महीने लग गए और इसलिए आपने फोटो अपलोड नहीं की थी। वैसे तो आप इस फोटो को कामचलाऊ कह रहे हैं लेकिन इस फोटो के पीछे कितना काम हुआ है ये हम जान चुके हैं।


sumit cartoonवैसे ब्लाग में फोटो लगाने की हमारी भी अपनी कहानी है। दरअसल हम तो अप्रैल में ही जागरण जंक्शन से जुड़ना चाहते थे लेकिन हमने भी कसम खाई थी ब्लाग लिखें ने लिखे प्रोफाइल में फोटो जरूर लगाएंगे वो भी बिलकुल धांसू। बोले तो हीरो माफिक। लेकिन हर बार किस्मत दगा दे जाती। हमने दोस्त के कैमरे से अपना फोटो खींचा लेकिन कैमरा खराब निकला। उसके बाद हम स्टूडियो में गए फोटो खिचंवाने लेकिन वहां से फोटो लेकर अपनी बाइक की सीट पर रखकर हम फोन पर बात करने लगे। जब पलटे तो देखा कि गाय को हमारे फोटो पसंद आ चुकी थी और वो मुंह घुमा-घुमाकर उसे चबा रही थी। हम खुद को कोसते रह गए। लेकिन हम हार नहीं माने हमने अपने कैमरे से अपनी फोटो ली लेकिन जैसे ही कम्प्यूटर में डालने लगे तो मेमोरीचिप करप्ट हो गई क्योंकि उसमें वायरस था। लेकिन वायरस कैसे आ गया हमने तो डेटॉल से नहा-धोकर अपनी फोटो खिंची थी। खैर यह शोध का विषय है। इसके बाद एक दोस्त की पार्टी में हम गए। वहां एक अतिउत्साही मित्र सारा काम-धंधा छोड़कर सबकी फोटो खींचने में मग्न था। पहले हमे लगा कि वह फोटोग्राफर होगा लेकिन बाद में पता चला कि वो हम दोस्तों में से ही एक था। हमने सोचा यही सुनहरा मौका है अपनी फोटो खिंचवाने का और फिर अपने कम्प्यूटर में डालने का। हमने भी एक धांसू पोज में फोटो खिंचवाई और कंप्यूटर में डाल ली। अब बारी थी निर्णायक पल की। हम जागरण जंक्शन की वेबसाइट खोलकर यह सोच रहे थे कि अपनी फोटो डाले कि न डालें। कहीं हमारी प्रेरणाओं ने हमको नेट पर देख लिया तो। (अब ये प्रेरणाएं कौन है ये हम आपको अपने आने वाले व्यंग्य में बताएंगे, सब अभी बता देंगे तो आप हमारी अगला व्यंग्य थोड़ी न पढ़ेंगे)। उन प्रेरणाओं से तो डर था ही साथ ही डर उन रेस्टारेंट वालों से भी था जहां हमारा हजारों रुपए उधार था। हमने तत्काल दो बोतल उस शीतल पेय के पीये जो “डर के आगे जीत है” का नारा लगाती है लेकिन उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। हमारा डर वैसे का वैसा ही कायम रहा। हम तो उस शीतल पेय पर केस करने की सोच रहे थे। फिर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अमा छोड़ो यार, जब हमने अपने हास्य व्यंग्य से दोस्तो, रिश्तेदारों, टीचरों को नहीं बख्शा तो जागरण जंक्शन वालों को कैसे बख्श सकते हैं। प्रताड़ित होने का हक तो इन्हें भी है। इसलिए हम जैसे भी लिखें, जैसा भी है झेलना तो पड़ेगा। फिर आप लोग तो हैं ही मार्गदर्शन के लिए। बस यही सोचकर झट से अपनी फोटो अपलोड की और दो महीनों के इंतजार के बाद जून में अपनी पहली पोस्ट जागरण जंक्शन में कर ही दी।

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