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उम्मीद से परे है ये प्यार – वैलेंटाइन Contest

मन के दरवाजे खोल जो बोलना है बोल
मन के दरवाजे खोल जो बोलना है बोल
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valentine coupleवेलेंटाइन सीजन चालू हो गया है। चारों तरफ बस प्यार की ही बातें हो रही हैं। प्यार के मैसेज, ब्लॉग्स, लेख,  ग्रीटिंग्स, गिफ्ट्स और न जाने क्या-क्या। फरवरी का महीना चालू होते ही प्यार का वातावरण निर्मित किया जाने लगता है। पर क्या सचमुच प्यार को निर्मित करने की जरूरत है। इसे प्यार का मौसम कहना बेमानी होगा क्योंकि प्यार मौसम, जगह, देश और इंसान देखकर नहीं होता, वो बस हो जाता है। प्यार क्या होता है, इसके मायने क्या है और यह जिंदगी में क्या महत्व रखती है जिस पर इस भी बहुत कुछ लिखा जा चका है, आज भी लोग लिख रहे हैं और यह अंतहीन सिलसिला चलते रहेगा। आज जनरेशन गैप बढ़ चुका है। पहले और आज के जमाने के प्यार को तौला जाता है। पुरानी पीढ़ी अक्सर कहती हैं कि आज के ज़माने में प्यार तो है ही नहीं, प्यार तो हमारे ज़माने में था, खामोश, निश्चल, सच्चा प्यार। वहीं वर्तमान पीढ़ी प्यार के लिए प्यार अब भी एक पहेली है। वह डेटिंग, गिफ्ट्स, दोस्ती के जरिए प्यार तलाशते रहता है। पर आप ही बताइए क्या प्यार को कभी तलाशा जा सकता है, क्या उसे हासिल किया जा सकता है? इन सबसे निकलने के बाद जिंदगी के किसी मोड़ पर उसे वो सच्चा साथी मिलता है जो सही मायने में उसका प्यार होता है। तब उसे अहसास होता है प्यार का।

प्यार का अहसास और अर्थ न पहले बदला था न अब बदला है, वो तो अपने स्थान पर ही है बस लोग बदलते गए हैं, पीढियां बदलती गई हैं। चाहे वह पाषाण युग रहा हो या आने वाला रोबोटिक युग ये प्यार ही है जो मानव को जोड़ता आया है और उसके विकास की दिशा तय करता आया है। प्यार ही है जो लोगों को करीब लाता है, छल-कपट के इस समय में प्यार ही दुनिया को बचाती आई है, वही उसे सहेजे हुए है।

अब बात करता हूं पहली नजर के प्यार के बारे में। जहां तक मैंने प्यार को जाना है, हालांकि प्यार को पूरी तरह जानने की मेरी हैसियत नहीं लेकिन जितना जान पाया हूं उसके आधार पर कह सकता हूं पहली नज़र में प्यार हो ही नहीं सकता। पहली नज़र में आकर्षण हो सकता है, सम्मोहन हो सकता है पर प्यार नहीं।  प्यार तो एक गहरा अहसास है। पहली नज़र में या कुछ मुलाकातों में आप किसी इंसान की अच्छाई या खूबी या कहूं बाह्य व्यक्त्तित्व से प्रभावित हो सकते हैं। किसी की गुणों से प्रभावित होना और उसे प्यार मान लेना बहुत आसान है। पर दुनिया में कोई भी इंसान संपूर्ण नही, वो तो गुण-अवगुण का पुतला है। ऐसे हालातों में जब उस इंसान के  व्यक्तित्व का दूसरा पहलू सामने आता है तो प्यार का खुमार उतरने लगता है। हम ठगे हुए महसूस करते हैं, लगता है कि नहीं ये वो नहीं जिसकी मुझे तलाश थी।

दरअसल हम प्यार में सिर्फ खुशियां चाहते हैं। हम एक ऐसा हमसफर ढूंढने में लगे रहते जो हमें सिर्फ खुशी दे। कोई ऐसा जो हमारी हर उम्मीद पर खरा उतरे। हम प्यार को हासिल करना चाहते हैं। यही उम्मीद सच्चे प्यार से हमें दूर ले जाती है। जबकि प्यार तो बिना किसी उम्मीद, किसी मोह के ही हो सकता है। प्यार वो है जब हम अपने हमसफर को गुण-दोष के साथ अपनाएं। उसे उसके दोष से निजात दिलाने प्रोत्साहित करें। उसका सहारा बनें, उसकी ताकत बनें।

प्यार नाम है आपसी समझ का। अच्छे पल तो किसी के साथ भी गुजर जाते हैं ही हैं पर सच्चा प्यार वो ताकत दे सकता है जो मुश्किल वक्त के तूफान से जीवन को निकाल दे। जब हम किसी इंसान को सच्चे मन से प्यार करने लगते हैं तो बस उसकी खुशियों की कामना करते हैं, उससे कोई उम्मीद नहीं रखते, उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर देते हैं बिना कुछ कहे, बिना उसे इसका अहसास दिलाए।

आप सबको हैप्पी वेलेंटाइन डे

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