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डैडी मुझसे बोला… (लघुकथा)

मन के दरवाजे खोल जो बोलना है बोल
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का्फी लंबे समय से जागरण जंक्शन से दूर था,  आज जब जागरण जंक्शन की साइट खोली तो उस पर फादर्स डे कांटेस्ट के बारे में पढ़ा। हालांकि आज फादर्स डे  है और मैं पिता के पितृत्व, उनके त्याग और प्यार को एक लेख के रूप में प्रस्तुत चाहता था  लेकिन ४-५ दिनों पहले आए एक एसएमएस ने मेरे मन को कुछ और लिखने की तरफ आकृष्ट किया। यह था वह एसएमएस-

जनरेशन गैप का सबूत-

१९८८ में आमिर खान गाता है- पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा।

२०११ में इमरान खान गाता है – डैडी मुझसे बोला तू गलती है मेरी।

उस समय तो इस एसएमंएस तो देख थोड़ी हंसी आई लेकिन इसके भीतर छुपे एक अनकहे अर्थ को मैंने महसूस किया और उसे एक लघुकथा का रूप देकर आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं- ” डैडी मुझसे बोला…. (लघुकथा)”

watch“डैडी मुझसे बोला तू गलती है मेरी…” गुनगुनाते हुए राहुल सीढ़ियों से नीचे उतरा। राहुल को देखते ही राहुल के पापा शर्मा जी मुंह बिचकाते हुए बोले- जब देखो कोई न कोई वाहियात गाना ही जुबान पे रहता है। कभी कुछ पढ़ाई के नोट्स भी गुनगुना लिया करो साहबज़ादे। राहुल उनकी बातों को अनसुना कर जाने लगा। तभी उसे टोकते हुए शर्माजी बोले- क्या ज़माना आ गया है। बाप यहां गला फाड़कर फाड़कर चिल्ला रहा है और बेटे के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। एक हम थे जो अपने पिताजी की एक आवाज़ पर उनके सामने हाजिर हो जाया करते थे। तुम्हारे ऐसे लक्ष्ण देखकर तो लगता है तू सचमुच गलती है मेरी। १०० नालायक मरे होंगे तब भगवान ने तुझे मेरे घर भेजा होगा। तेरी उम्र में हम अपने पिताजी के रोज पैर छुआ करते थे। अरे नालायक सालभर तो पैर नहीं छूता कम से कम आज फादर्स डे के दिन ही पैर छू लेता, जब देखो तब बस पैसे मांगते रहता है जैसे मैं पापा नहीं कोई एटीएम हुआ। तभी राहुल आईपॉड को बंद करते हुए बोला- पापा अच्छा याद दिलाया आपने, जरा ५०० रुपए देना। दांत पीसते हुए शर्माजी ने पैसे दिए। राहुल जाते हुए बोला- डैडी टेबल पर आपकी कुछ चीज छूट गई है, याद से ले लेना। शर्माजी टेबल के पास पहुंचे तो देखा वहां एक घड़ी रखी है साथ मैं एक कार्ड था- लव यू डैडी, मैं मन से आपकी बहुत इज्जत करता हूं और मुझे इसे दिखाने की जरूरत नहीं। एक छोटी सी गिफ्ट आपके लिए अपने बचाए हुए पॉकेट मनी से। शर्माजी हाथ में घड़ी और कार्ड लिए मुस्कुरा ही रहे थे कि पीछे से शर्माजी के पिताजी की आवाज आई- बेटा,  जरा आज का अखबार तो देना। शर्माजी के चेहरे पर छाई मुस्कान ने १८० डिग्री की करवट ले ली। वे झिड़कते हुए बोले- पिताजी, आपको मैं ही मिलता हूं क्या सुबह से,  आपकी बहू से कह दो वो दे देगी।

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