Menu
blogid : 2077 postid : 332

न जाना उस शिविर लाडो (व्यंग्य)

मन के दरवाजे खोल जो बोलना है बोल
मन के दरवाजे खोल जो बोलना है बोल
  • 55 Posts
  • 382 Comments

सुबह की गरमागरम का चाय बिना किसी चटखारे खबर के बेस्वाद लगती है। चाय की चुस्कियां लेते हुए अखबार में किसी मजेदार खबर की तलाश में नजरें इस पन्ने से उस पन्ने घुमाए जा रहे था कि एक खबर पर नजर पड़ी। “कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं व नेताओं से मना किया है कि वे बाबा रामदेव के शिविर में न जाएं”। इस खबर को पढ़ते ही मन में कुछ मज़ेदार पात्र उभरने लगे। आप सब “न आना इस देस लाड़ो” धारावाहिक से वाकिफ तो होंगे और इसकी सबसे चर्चित पात्र अम्माजी से भी। बस इस फरमान को सुनकर ऐसा लगा जैसे मानो कांग्रेस अम्माजी की तरह अपनी लाडो (कार्यकर्ताओं) को समझा रही हो कि “न जाना उस शिविर लाडो”।


naa-aana-iss-des-laado 1कांग्रेस लोकतंत्र का चोगा ओढ़े और हाथ में अनुशासन का डंडा लिए अपनी लाडो से कहती है- “लाडो, म्हारे को पता है कि तुम लोगों में से बहुत उस बाबा रामदेव के शिविर में जाया करते थे, पर एक बात म्हारी आज से साफ-साफ समझ ले लाडो, आज से उस बाबा के शिविर के बाहर भी तुम में से कोई दिखाई दी, तो म्हारे से बुरा कोई ना होगा। योगा -वोगा जो तुम सबणे करणा है सो यही करो।”


कुछ लाडो विद्रोही थीं वे बोल पड़ी- “अम्माजी, योग तो सिर्फ शिविर में होता है, बाबा से जो हमारा नाता है वो क्या आपके एक फरमान से हम तोड़ लें।”  ऐसे विद्रोही तेवर अम्मजी को सहन न हुए और वे बोलीं ” मतलब लाडो थारे को भी योग का रोग लग गया। म्हारे को पता था एक दिण ऐसा ही होगा। म्हारी लाडो अब म्हारे से जबान चलावेगी। बड़ा बुरा होवे ये योग का रोग। क्यूं लाडो वो बाबा तेरे घर के सामने तांडव करे है, थारी अम्माजी के सिर में दर्द पैदा करे है और तू क्या उस बाबा के शिविर में जाने जिद करे है। पता नहीं उस बाबा ने योग सिखाते सिखाते कौण सी जड़ी-बूटी म्हारी लाडो को पिला दी है कि अब तू म्हारे से बैर पाल रही है। इसीलिए मैं शुरू से ऐसी लाडो (कार्यकर्ताओं) के जन्म खिलाफ थीं जो परिवार का नाम खराब कर सके हैं। अब ध्यान से सुन लाडो म्हारी बात आखिर बार। अगर तन्ने यहां रहना है तो म्हारी बात माननी पड़ेगी वरना आगे जो होगा वो सोच ले।”


लाडो बोली “ना, अम्माजी मैं कब बोली मैं आपकी बात ना मानूंगी। पर दिक्कत है ये है अम्माजी कि बाबा ने रोग का ऐसा रोग लगाया है कि जब तक सुबह १ घंटे शरीर को आड़ा-टेढ़ा न करूं शरीर दर्द करता है। ”


yogaअम्माजी खुश होते हुए बोली “अरी बांवरी, ये बात थी तो पहले बोलणा था ना, मैं न जाणे क्या क्या समझ रही थी थारे बारे में म्हारी लाडो।  योगा सीखणे खातिर किसी को बुलवा ले, अरे योग सिखाणे वालो की कमी है क्या। वो कौन सी लड़की है जो फिलम में आती है, साथ में योगा भी करती है हां- शिल्पा शेट्टी, उससे सीख लो वो कैसी रहेगी। ” ना वो ना आ पाएगी अम्माजी, वो तो घर-गृहस्थी और क्रिकेट में ही व्यस्त रहती है, लाडो बोली।


“ऐसा के, पर उसकी डीवीडी तो आवे है ना बाजार में वो ले आना, सारा परिवार उसे बड़े परदे पर देखकर मिलकर योग करेगा, इतना बड़ा मैदान है म्हारा। वैसे सच बोलूं तो म्हारे भी दिल में योग सीखने की इच्छा बहुत समय से थी, क्या पता कल म्हारे को भी कहीं आमरण अनशन करना पड़ा गया तो उन ९-१० दिन योग करके ही टाइमपास करना पड़ेगा ना। रुक लाडो अभी छोटू से डीवीडी मंगवा लेती हूं, अरे छोटूं… कहां मर गया, जा भई जल्दी शिल्पा शेट्टी की योगा की डीवी ले आ। “

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh