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दिग्विजय में ओसामा की आत्मा (व्यंग्य)

मन के दरवाजे खोल जो बोलना है बोल
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digvijay-singh_5दिग्विजय के बयानों से तंग आई भाजपा ने यह कहकर उन्हें चुप कराने की कोशिश की उनमें ओसामा की आत्मा घुस गई है। लेकिन आप ही बताइए जिस तरह दिग्विजयजी के मुंह से  धड़ाधड़ बयानों की सुपरसोनिक मिसाइल निकल रही है उस पर फुलस्टाप लग सकता है क्या?  फिर भी भाजपा का यह बयान था एक बेहद चुटीला व्यंग्य। पहले तो यह बयान पढ़कर हंसी आई लेकिन जैसे कि आप लोग जानते हैं चिंतन करना मेरे स्वभाव में है और दिन में बिना एक-दो बार  चिंतन किए मन तृप्त नहीं होता। बस यह बयान पढ़ते हुए आई हंसी क्षणभर में फुर्र हो गई और चिंतन वाला चेहरा उभरकर आ गया।

मन में एक विचार खटका कि कहीं सच में तो दिग्विजयजी के शरीर में………।  न..न..ये नहीं हो सकता। लेकिन हो भी सकता है। मन में विचार कुछ स्पष्ट नहीं आ रहा थे, शायद चिंतन करने वाले मस्तिष्क के हिस्से में बैटरी लो था। हमने तुरंत अपना पावर वाला चश्मा चढ़ाया, हाथों में कलम लिया और एक पूर्ण चिंतक का अवतार धरकर बैठ गए दोबारा चिंतन करने। भारत तो शुरू से भूत-प्रेत, आत्मा की कथाओं वाला देश रहा है। इन कथाओं का ऐसा आकर्षण रहा है कि लोग डरने के बाद भी इन्हें सुनने उत्सुक रहते हैं। भूत-प्रेत के भरोसे तो चैनलवाले भी अपनी टीआरपी बढ़ा लेते हैं, भूत भगाने के नाम पर बाबाओं की रोजी-रोटी क्या छप्पनभोग चल जाती है। हो सकता है यही टीआरपी ओसामा की आत्मा को भारत खींच लाई हो। फिर सोचा नहीं…. देश तो तरक्की कर रहा है। भूत-प्रेत तो गांव-देहात में रहते हैं। फिर याद आया… काहे की तरक्की ७० प्रतिशत आबादी तो अब भी गांव में बसती है। शायद ओसामा की आत्मा पाकिस्तान से निकलकर सरहद पार करते हुए गांवों के रास्ते होते हुए दिग्विजयजी के शरीर में घुस गई हो। अगर दिग्विजयजी के शरीर में ओसामा की आत्मा नहीं है फिर तो कोई प्राब्लम नहीं लेकिन अगर है तो समझ लीजिए टेंशनों की बाढ़ मुंह बाए खड़ी है।

घर में अकेले चितंन करते करते बोरियत होने लगी ती तो सोचा थोड़ा पड़ोस के परमअल्पज्ञानी पोंडा पंडितजी से चर्चा की जाए। उन्होंने कहा मुझे अपने दिब्य (पंडितजी शुद्ध हिन्दी वाले हैं इसलिए दिव्य को दिब्य कहते हैं) ज्ञान आभास होता है कि ओसामा ने अपनी मौत के चंद मिनटों पूर्व ही तय कर लिया था कि उनकी आत्मा को यहीं पृथ्वीलोक में किसी प्राणी के शरीर में घुसना है। पर इतने अरबों की की जनसंख्या में किसके शरीर में घुसा जाए यह समस्या थी। ओसामा की मौत के बाद दिग्विजयजी ने जैसे ही ओसामा को ओसामाजी कहा, उसी समय ओसामा ने इसे इन्वीटेशन मान लिया होगा। चंद घंटों में ही सही व्यक्ति मिल गया। न ऑनलाइन पोल का झंझट, न वोटिंग  ना कोई रिटलिटी शो का ड्रामा क्या किस्मत है ओसामा। या यह भी हो सकता है कि दिग्विजय के निरंतर खुले रहने वाले मुख को उन्होंने खुल जा सिम सिम की तरह अंदर आने का न्यौता समझ लिया होगा और सांस के साथ उनके अंदर चले गए होंगे।

ओसामा दिग्विजयजी के अंदर कैसे गए ये छोड़िए यहां बात हो रही थी  आने वाली परेशानियों की। मैं तो बोलता हूं ज्यादा हल्ला नहीं करना चाहिए। श…श…श…।  इस खबर को यहीं दबा देना चाहिए। अगर खुदा ना खास्ता ये खबर ओसामा की मौत के जश्न में डूबे अमरिकियों को लग गई तो समझ लीजिए वो लोग अपना हाथों का जाम फेंककर बंदूक लेकर यहां दौड़ पड़ेंगे।  और कहीं पड़ोसी पाकिस्तान में यह खबर फैल गई तो अलकायदा में भी खलबली मच सकती है। ओसामा के जाने के बाद शीर्ष पद का उम्मीदवार सपने टूटने के गम से डिप्रेशन में जा सकता है। और सबसे खतरनाक न्यूज चैनल वाले जो अफवाह को भी खबर की तरह पेश करने में महिर है तुरंत इस खबर पर सीरीज चालू कर देंगे। चैन से सोना है तो जाग जाइए……..। ओसामा की आत्मा कहीं से भी आपमें घुस सकती है। अपना मुंह, आंख, कान बंद रखिए।  कान में रूई ठूंस लीजिए। आपके कान के पास चल रही जूं में भी ओसामा की आत्मा हो सकती है। चैन से रहना है तो डकार मारना छोड़ दीजिए। आपकी ३० सेकंड की  डकार मौका दे सकती है ओसामा की आत्मा को आपके अंदर घुसने का…. वगैरह वगैरह…..।

खैर एक अच्छे विपक्ष की तरह भाजपा ने मर्ज तो बताया ही साथ ही इलाज करने का बीड़ा भी अपने सिर पर ले लिया। उन्होंने कहा कि दिग्विजयजी का झाड़-फूंक हम कराएंगे। भाजपा का यह “केयरिंग नेचर” मुझे बहुत पसंद आया। मैं तो यही कहूंगा- “सलामत  रहे विपक्षाना तुम्हारा”। पर आखिर में मेरी एक सलाह है कि जिस बाबा-बैगा के पास आप इन्हें लें जाएं वो बुश और ओबामा को “काम्बो पैक” होना चाहिए। अजी, ओसामा की आत्मा को भगाने के लिए बुश-ओबामा के “काम्बो पैक” को १० साल लग गए तो उनसे कम चलेगा ही नहीं। ठीक है पोंगापंडितजी अब चिंतन टाइप समाप्त,  बाकी का चिंतन कल अब इजाजत दीजिए । यह कहते हुए मैं पोंगा पंडितजी के यहां से प्रस्थान करना ही उचित समझा।

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